एक बार एक राजकुमार अपने घोड़े पर सवार होकर यात्रा पर निकला। जब राजकुमार जंगल से होकर गुजरा तो उसे ध्यान आया कि इस जंगल में एक बंदर रहता है जो यात्रियों को चने खिलाता था। राजकुमार ने सोचा कि क्यों न उस बंदर से मिला जाए। राजकुमार जंगल में उस बंदर से मिलने के लिए चल दिया। कुछ दूर जाने पर एक नदी के किनारे पेड़ पर वो बंदर मिला। राजकुमार ने उसी पेड़ के नीचे अपने घोड़े को बांध दिया। बंदर ने उसका सत्कार किया और राजकुमार को खाने के लिए चने दिए। चने खाकर राजकुमार ने पेड़ की ठंडी-ठंडी छांव में विश्राम किया।
एक पहर विश्राम करने के बार राजकुमार चलने के लिए तैयार हुआ। जैसे ही राजकुमार चलने के लिए घोड़े पर सवार हुआ, तो बंदर ने अपनी फरमाइश रख दी। उसने राजकुमार से कहा कि वो भी उसके साथ यात्रा पर जाना चाहता है। राजकुमार ने बंदर को साथ ले जाने से इंकार कर दिया। इस पर बंदर बोला- अगर साथ नहीं ले जाना तो ला वापस कर मेरी चले की दाल।
अब राजकुमार बंदर की चने की दाल कैसे वापस करे। तो मजबूरी में उसने बंदर को अपने साथ घोड़े पर बैठा लिया।
चलाचला... चलाचल... एक नदी आई, उस नदी के किनारे महिलाएं दही के मटके लेकर जा रही थीं।
बंदर ने उन महिलाओं को देखकर कहा- राजकुमार मुझे वो दही की मटकी चाहिए।
राजकुमार ने कहा- मैं कहां से दूं मटकी, मटकी तो उन महिलाओं की है। और तू मटकी का करेगा क्या?
बंदर बोला- मैं कुछ नहीं जानता मुझे वो मटकी चाहिए।
राजकुमार ने साफ मना कर दिया।
इस पर बंदर बोला- मटकी नहीं दिलानी तो अपना पेट फाड़ और ला मेरी चने की दाल।
राजकुमार बड़ा परेशान, बंदर ने उसको बुरा फंसाया। राजकुमार बोला- मैं तो नहीं जाऊंगा, तुझे ला मिले तो ले आ मटकी।
बंदर झट से गया और महिलाओं को जोर की घुड़की दी। सारी महिलाएं अपनी मटकी छोड़-छोड़ कर भाग गईं। बंदर ने एक मटकी उठाई और वापस घोड़े पर आकर सवार हो गया।
चलाचल.... चलाचल.... उन्हें रास्ते में एक ढोलक बेचने वाला मिला।
बंदर ने फट से राजकुमार से बोला- मुझे ढोलक चाहिए।
राजकुमार को गुस्सा आया, बंदर की मांग बढ़ती ही जा रही थीं। उसने बंदर से कहा- इस जंगल में तो भला ढोलक का क्या करेगा?
बंदर बोला- मैं चाहे जो करूं, मुझे ढोलक चाहिए बस।
राजकुमार ने साफ मना कर दिया।
इस पर बंदर बोला- या तो मुझे ढोलक दिला या फिर पेट फाड़ और निकाल मेरी चने की दाल।
राजकुमार बुरा फंस चुका था। उसने बंदर से कहा कि अपने आप ले आए ढोलक।
बंदर कूद कर गया और ढोलक वाले को जोर से घुड़की दी, ढोलक वाला अपनी ढोलक छोड़कर भाग गया। बंदर ने एक ढोलक उठा ली और वापस राजकुमार के घोड़े पर आकर सवार हो गया।
चलाचल.... चलाचल.... उनको एक जंजीर बेचने वाला मिला।
बंदर ने फिर राजकुमार से बोला कि उसको जंजीर चाहिए।
राजकुमार के मना करने पर फिर उसने वही धमकी दी कि पेट फाड़ और निकाल मेरी चने की दाल।
आखिरकार बंदर ने लुहार से एक जंजीर छीन ली।
चलाचल... चलाचल.... फिर बंदर ने एक चरवाहे से बकरी का एक बच्चा छीन लिया।
इस तरह राजकुमार और बंदर एक नगर में पहुंचे। उस नगर में चारों तरफ सन्नाटा पसरा था। राजकुमार को इतना सन्ना देखकर थोड़ा अजीब सा लगा। वे दोनों एक घर के दरवाजे पर पहुंचे। दरवाजा खटखटाया तो अंदर से एक लड़की ने दरवाजा खोला। वो राजकुमार को देखकर हैरान हो गई।
राजकुमार ने पूछा कि तुम इतनी हैरान क्यों हो?
तो उस लड़की ने जवाब दिया- तुम लोग गलत जगह आ गए हो, ये दानवों की नगरी है। अभी सब दानव शिकार पर गए हुए हैं, लेकिन शाम को जैसे ही सब लौटेंगे तुम दोनों को जिंदा नहीं छोड़ेंगे। मेरे पिताजी को पांच कोस तक इंसान की गंध आ जाती है।
इस पर राजकुमार ने कहा- अब तो तुम ही हमें बचा सकती हो, देर बहुत हो चुकी है। वापस जाना मुमकिन नहीं है।
लड़की राजकुमार की सुंदरता पर मोहित हो चुकी थी। सो, उसने राजकुमार को बचाने का फैसला किया। उसने राजकुमार के घोड़े को अपने जादू से मक्खी बनाकर दीवार पर चिपका दिया। और राजकुमार और बंदर से कहा कि छत पर जाकर छिप जाएं। वे दोनों छत पर जाकर छिप गए।
दिन छिपते ही दानव घर लौटकर आया। आते ही उसको महसूस हुआ कि घर में मनुष्य की गंध समाई है। वो झट से अपने बेटी से बोला- बेटी मानुष गंध, मानुष गंध, मानुष गंध...
लड़की ने बात को टालते हुए कहा- क्या बाबा हर समय मानुष गंध-मानुष गंध करते रहते हो। दारू के नशे में तुमको बहका दिया। भला इस भयानक दानवों की नगरी में कोई मानव आ सकता है क्या?
दानव को बेटी की बात पर विश्वास हो गया। उसने खाना खाया और जाकर सो गया।
जिस कमरे में दानव सो रहा था, उसमें छत से एक मोखला खुलता था। छत पर बैठे बंदर ने जैसे ही दानव को नीचे सोते हुए देखा उसको शरारत सूझी। उसने राजकुमार से कहा- राजकुमार मुझको सू सू आई है।
राजकुमार बोला- ससुरे यहां हमारी जान के लाले पड़े हैं, और तुझे सू सू आ रही है। जा जाकर पिछली दीवार पर कर ले।
बंदर बोला- नहीं मैं तो इसी मोखले में करूंगा।
राजकुमार बोला- अबे मरवाएगा क्या मुझे, कौन से जनम के बदले ले रहा है तू मुझसे।
बंदर बोला- या तो मुझे करने दे या फिर पेट फाड़ निकाल मेरी चने की दाल।
राजकुमार बोला- चने की दाल के बदले में क्या मेरी जान लेगा, कमबख्त।
बंदर बोला- सोच ले।
राजकुमार ने कहा- जो जी में आए कर ले।
बंदर झट से गया और मोखले में सू सू कर दी।
सू सू नीचे सो रहे दानव के मुंह पर जाकर गिरी।
दानव हड़बड़ा कर उठा और जोर से चिल्लाया- बेटी मानुष गंध, मानुष गंध, मानुष गंध....
लड़की ने बात संभाली- बापू तुमको भी न सपने आ रहे हैं। मैंने छत पर पानी का मटकी रख दी थी, वही गिर गई होगी हवा से।
दानव फिर सो गया। ऊपर बैठे राजकुमार ने राहत की सांस ली।
बंदर को इस पर चैन नहीं आया और वो राजकुमार से बोला- राजकुमार मुझे खांसी आ रही है।
राजकुमार खबराकर बोला- अगर तूने जरा सी भी आवाज की तो ये दानव हम दोनों को खा जाएगा। चुपचाप अपना मुंह बंद करके बैठा रह।
बंदर बोला- खांसी को कैसे रोकूं।
राजकुमार बोला- अच्छा तो जा पीछे की तरफ मुंह करना और मुंह पर हाथ रखकर आहिस्ते से खांसना।
बंदर बोला- न जी न, खांसूंगा तो इसी मोखले में।
राजकुमार- अबे कमबख्त ये क्यों नहीं कहता कि तू मेरी जान लेना चाहता है।
बंदर बोला- या तो मुझे खांसने दे या फिर ला मेरी चने की दाल।
राजकुमार बोला- पता नहीं कौन सी बुरी घड़ी थी कि मैंने तेरी चने की दाल खा ली। जा मर, और मुझे भी मरवा दे।
बंदर गया और मोखले में मुंह लगाकर जोर से खांसा- खौं खौं खौं....
आवाज सुनते ही दानव उठ खड़ा हुआ और बोला- बेटी अब मुझे मत रोकना घर के अंदर मानव घस आया है। मैं आज उसको खा जाऊंगा।
झट से दानव छत पर पहुंच गया, वहां अंधेरा हो रहा था। दानव को अंधेरे में कुछ खास नजर नहीं आ रहा था। राजकुमार पहले ही जाकर छिप गया था। बस बंदर ही सामने था, जिसकर परछांई हल्की सी रोशनी में बहुत बड़ी नजर आ रही थी।
उसने अंदाजे से पूछा- तू कौन?
बंदर ने जवाब में पूछा- पहले बता तू कौन?
दानव बोला- मैं दानव!
बंदर बोला- तू दानव, तो मैं सवा दानव।
दानव ने पूछा- सवा दानव भला कैसे?
बंदर ने कहा जानना चाहता है कैसे, तो तुझे अभी बताता हूं। चल मेरे ऊपर थूक।
दानव ने बंदर के ऊपर थूका। बंदर को पता भी नहीं चला।
ले अब तू मेरा थूक संभाल। और बंदर ने दही का वो मटका जो रास्ते में छीना था, उठाकर दानव के ऊपर उड़ेल दिया।
दानव घबरा गया। इतना सारा थूक।
बंदर बोला- ये तो मैंने एक गाल से थूका है अगर दोनों गालों से थूक दिया तो यहां बाढ़ आ जाएगी। चल अब मुझे अपनी पूंछ से मार।
दानव ने अपनी पूंछ से बंदर पर प्रहार किया। बंदर पर खास फर्क नहीं पड़ा।
बंदर बोला ले अब मेरी पूछ संभाल और उसने रास्ते में छीनी जंजीर को पूरी ताकत से घुमाकर दानव की कमर में जड़ दिया। जंजीर का प्रहार पड़ते ही दानव बिलबिला गया।
बंदर बोला देख ली मेरी पंूछ की ताकत। चल अब अपनी जूं मेरे ऊपर फेंक।
दानव ने अपने सिर से एक जूं निकाली और बंदर के ऊपर फेंकी। बंदर को पता भी नहीं चला।
फिर बंदर बोला ले अब मेरी जूं देख और उसने रास्ते में छीना बकरी का बच्चा दानव की तरफ उछाल दिया। इतनी बड़ी जूं देखकर दानव बुरी तरह घबरा गया।
बंदर बोला चल अब मुझे अपना पेट बजाकर दिखा। दानव ने पेट बजाया, तो खास आवाज नहीं आई।
बंदर बोला ले अब मेरे पेट की आवाज सुन और रास्ते में छीना ढोल जोर से बजा दिया- ढोल की आवाज सुनकर दानव बुरी तरह घबरा गया और वहां से जान बचाकर भागा।
अगले दिन उस दानव ने अपने नगर में एक सभा बुलाई ये बताने के लिए कि नगर में एक ’’सवा दानव’’ घुस आया है।
इधर राजकुमार ने उस लड़की से भागने का रास्ता पूछा।
लड़की ने कहा कि रास्ता तो वो बताएगी, लेकिन वो भी साथ चलेगी। राजकुमार तैयार हो गया। लड़की ने अपने पिता की जादूई चटाई दिखाई जो हवा में उड़ती थी। वो राजकुमार, बंदर और घोड़े को लेकर उस चटाई पर सवार हो गई और सब हवा में उड़ने लगे।
बंदर ने ऊपर से देखा कि सारे दानव नीचे सभा कर रहे हैं। उसने जोर से अपनी ढोलक बजाई। उसकी आवाज सुनते ही सारे दानव घबराकर भागे, इधर-उधर, लदर-पदर, गिरते-पड़ते, किसी की धोती खुली, किसी कि जूती छूटी।
राजकुमार बंदर और उस लड़की के साथ अपने महल में आ गया। बंदर को रहने के लिए उसने एक अलग जगह दी और लड़की को अपनी रानी बना लिया।
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Yah Kahani mere Dil ko Chu gai hai
ReplyDeleteKahani To badi Super Hit hai
kahani likhane ke liye dhanaywad,
Deepak
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