गौड़ देश में वर्धमान नाम का एक नगर था, जिसमें गुणशेखर नाम का राजा राज किया करता था। उसके अभयचन्द्र नाम का दीवान था। उस दीवान के कहने से राजा ने अपने राज्य में शिव और विष्णु की पूजा, गोदान, भूमी दान, पिण्डदान आदि सब बन्द कर दिये। नगर में डिंढोरा पिटवा दिया कि जो कोई
ये कर्म करेगा, उसका सबकुछ छीनकर उसे नगर से बाहर निकाल दिया जायेगा।
एक दिन दीवान ने कहा, कि महाराज, अगर कोई किसी को दु:ख पहुँचाता है और उसके प्राण लेता है तो पाप से उसका जन्म-मरण नहीं छूटता। वह बार-बार जन्म लेता और मरता है। इससे मनुष्य का जन्म पाकर धर्म बढ़ाना चाहिए। आदमी को हाथी से लेकर चींटी तक सबकी रक्षा करनी चाहिए। जो लोग दूसरों के दु:ख को नहीं समझते और उन्हें सताते हैं, उनकी इस पृथ्वी पर उम्र घटती जाती है और वे लूले-लँगड़े, काने,कोढी. तथा बौने होकर जन्म लेते हैं।
राजा ने कहा कि ठीक है। अब दीवान जैसे कहता, राजा वैसे ही करता। दैवयोग से एक दिन राजा मर गया। उसकी जगह उसका बेटा धर्मराज गद्दी पर बैठा। एक दिन उसने किसी बात पर नाराज होकर दीवान को नगर से बाहर निकलवा दिया।
कुछ दिन बाद, एक बार वसन्त ऋतु में वह इन्दुलेखा, तारावली और मृगांकवती, इन तीनों रानियों को लेकर बाग़ में गया। वहाँ जब उसने इन्दुलेखा के बाल पकड़े तो उसके कान में लगा हुआ कमल उसकी जाँघ पर गिर गया। कमल के गिरते ही उसकी जाँघ में घाव हो गया और वह बेहोश हो गयी। बहुत इलाज हुआ, तब वह ठीक हुई। इसके बाद एक दिन की बात कि तारावली ऊपर खुले में सो रही थी। चांद निकला। जैसे ही उसकी चाँदनी तारावली के शरीर पर पड़ी, तो उसके पूरे सरीर पर लाल रंग के फफोले उठ आये। कई दिन के इलाज के बाद उसे आराम हुआ। इसके बाद एक दिन किसी के घर में मूसलों से धान कूटने की आवाज हुई। सुनते ही मृगांक वती के हाथों में छाले पड़ गये। काफ़ी इलाज हुआ तब कहीं जाकर ठीक हुई।
इतनी कथा सुनाकर बेताल ने पूछा, एमहाराज, बताइए, उन तीनों में सबसे ज्यादा कोमल कौन थी?
राजा ने कहा, मृगांकवती, क्योंकि पहली दो के घाव और छाले कमल और चाँदनी के छूने से हुए थे। तीसरी ने मूसल को छुआ भी नहीं और छाले पड़ गये। वही सबसे अधिक नाजुक हुई।
राजा के इतना कहते ही बेताल पेड पर उलटा जा लटका। राजा बेचारा फिर मसान में गया और जब वह उसे लेकर चला तो उसने एक और कहानी सुनायी। कलम का तिलक इंटरनैशनल न्यूज पोर्टल से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक ग्रुप और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें फेसबुक पर लाईक करें, टविटर पर फॉलो करे बच्चों की हिन्दी मनोहारी कहानीयां पढने के लिये यहां कलिक करें