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चोर क्यों रोया



चोर क्यों रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?
अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज किया करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक साहूकार था, जिसकी रत्नवती नाम की एक लड़की थी। वह अतयंत सुन्दर थी। वह हमेशा पुरुष के भेस में रहा करती थी और किसी से भी शादी नहीं करना चाहती थी। उसका पिता इसे लेकर बड़ा दु:खी था।
चोर क्यों रोया
इसी बीच नगर में कोई चोर घुस आया व  खूब चोरियाँ होने लगी। चोरीओ से प्रजा दु:खी हो गयी। कोशिश करने पर भी जब चोर पकड़ में न आया तो राजा स्वयं उसे पकड़ने के लिए निकला। एक दिन रात को जब राजा भेष बदलकर घूम रहा था तो उसे परकोटे के पास एक आदमी दिखाई दिया। राजा चुपचाप उसके पीछे चल दिया। चोर ने कहा,  अगर तुम मेरे साथी हो तो आओ, मेरे घर चलो।
दोनो घर पहुँचे। उसे अपने घर में बिठाकर चोर किसी काम के लिए बाहर चला गया। कुछ देर बाद वहां चोर की दासी आयी और बोली, कि तुम यहाँ क्यों आये हो  चोर तुम्हें मार डालेगा अगर भाग सकते हो तो भाग जाओ।
राजा ने ऐसा ही किया ओर वहा से चला गया तथा फिर उसने अपनी सेना को साथ लाकर चोर का घर घेर लिया। जब चोर ने यह अपने आप को घिरा देखा तो वह लड़ने के लिए तैयार हो गया। दोनों  पक्षों में खूब लड़ाई हुई। अन्त में चोर हार गया। राजा उसे पकड़कर राजधानी में लाया और से सूली पर लटकाने का हुक्म दे दिया।
संयोग से रत्नवती ने उस चोर को देखा तो वह उस पर मोहित हो गयी। पिता से बोली, मैं इसके साथ ब्याह करूँगी, नहीं तो मर जाऊँगी।
पर राजा ने उसकी बात नही मानी और चोर को सूली पर लटका दिया। सूली पर लटकने से पहले चोर पहले तो बहुत रोया, फिर खूब हँसा। रत्नवती वहाँ पहुँच गयी और चोर के सिर को लेकर सती होने के लिये चिता में बैठ गयी। उसी समय देवी ने आकाशवाणी की,  मैं तेरी पतिभक्ति से प्रसन्न हूँ। जो चाहे सो माँग।
रत्नवती ने कहा, मेरे पिता के कोई पुत्र नहीं है। सो वर दीजिए, कि उनसे सौ पुत्र हों।
देवी प्रकट होकर बोलीं,  तथाअस्तू यही होगा। और कुछ माँगो।
वह बोली, मेरे पति जीवित हो जायें।
देवी ने उसे जीवित कर दिया। दोनों का विवाह हो गया। राजा को जब यह मालूम हुआ तो उन्होंने चोर को अपना सेनापति बना लिया।
इतनी कहानी सुनाकर बेताल ने पूछा, ‘हे राजन्, यह बताओ कि सूली पर लटकने से पहले चोर क्यों तो ज़ोर-ज़ोर से रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?
राजा ने कहा, “रोया तो इसलिए कि वह राजा रत्नदत्त का कुछ भी भला न कर सकेगा। हँसा इसलिए कि रत्नवती बड़े-बड़े राजाओं और धनिकों को छोड़कर उस पर मुग्ध होकर मरने को तैयार हो गयी। स्त्री के मन की गति को कोई नहीं समझ सकता।
इतना सुनकर बेताल गायब हो गया और पेड़ पर जा लटका। राजा फिर वहाँ गया और उसे लेकर चला तो रास्ते में उसने यह कथा कही।
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