0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
""WE WELCOMME YOU TO VISIT ON SHADI BANDHAN GOVT REGISTRED MATRIMONIAL SERVICE""Regd No:UDYAM-HR-04-0000530'' शादी बंधन मेट्रीमोनियल संस्था फ्री में बिना दान दहेज करवाएगी गरीब लडकियों की शादी हिदू, सिख, बनिया, खत्री, मजबी या ना कास्ट बार लड़की के दाज रहित रिश्ते व शादी का इंतज़ाम शादी बंधन संस्था वर पक्ष से करवाएगी या खुद करेगी 7400360075 पर पंजीकरण कराइए YOU CAN CONTACT US BY WHATSAPP 7400360075 OR BY VISIT US ON OUR OFFICE SHADI BANDHAN GROUP FATEHABAD Street No 9 Kirti Nagar Road Fatehabad
Type Here to Search Desired Profile or Tag !

असली अपराधी कौन

   असली अपराधी कौन

असली अपराधी कौन बनारस में देवस्वामी नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसके हरिदास नाम का पुत्र था। हरिदास की बड़ी सुन्दर पत्नी थी। नाम था लावण्यवती। एक दिन वे महल के ऊपर छत पर सो रहे थे कि आधी रात के समय एक गंधर्व-कुमार आकाश में घूमता हुआ उधर से निकला। वो लावण्यवती के रूप पर मुग्ध होकर उसे उड़ाकर ले गया। जागने पर हरिदास ने देखा कि उसकी स्त्री नही है तो उसे बड़ा दुख हुआ और वह खुद्कशी करने के  लिए तैयार हो गया। लोगों के समझाने
चलते-चलते वह किसी गाँव में एक ब्राह्मण के घर पहुँचा। उसे भूखा देख ब्राह्मणी ने उसे कटोरा भरकर खीर खाने को दे दी और तालाब के किनारे बैठकर खाने को कहा। हरिदास खीर लेकर एक पेड़ के नीचे आया और कटोरा वहाँ रखकर तालाब मे हाथ-मुँह धोने गया। इसी बीच एक बाज किसी साँप को लेकर उसी पेड़ पर आ बैठा ओर जब वह उसे खाने लगा तो साँप के मुँह से ज़हर टपककर कटोरे में गिर गया। हरिदास को कुछ पता नहीं था। वह उस खीर को खा गया। ज़हर का असर होने पर वह तड़पने लगा और दौड़ा-दौड़ा ब्राह्मणी के पास आकर बोला, तूने मुझे जहर दे दिया है।  इतना कहने के बाद हरिदास मर गया।
जिस वक्त ब्राह्मण ने यह सब देखा तो ब्राह्मणी को ब्रह्मघातिनी कहकर घर से निकाल दिया।
इतना कहकर बेताल बोला, “राजन्! बताओ कि साँप, बाज, और ब्राह्मणी, इन तीनों में अपराधी कौन है?”
राजा ने कहा, “कोई नहीं। साँप तो इसलिए नहीं क्योंकि वह शत्रु के वश में था। बाज इसलिए नहीं कि वह भूखा था। जो उसे मिल गया, उसी को वह खाने लगा। ब्राह्मणी इसलिए नहीं कि उसने अपना धर्म समझकर उसे खीर दी थी और उस खीर मे जहर नही था। जो इन तीनों में से किसी को दोषी कहेगा, वह स्वयं दोषी होगा। इसलिए अपराधी ब्राह्मणी का पति था जिसने बिना विचारे ब्राह्मणी को घर से निकाल दिया।”
इतना सुनकर बेताल फिर पेड़ पर जा लटका और राजा को वहाँ जाकर उसे लाना पड़ा। बेताल ने चलते-चलते नयी कहानी सनायी।

पर वह मान तो गया  लेकिन यह सोचकर कि तीरथ करने से शायद पाप दूर हो जाय और स्त्री मिल जाय, वह घर से तीरथ शनान के मक्सद से निकल पड़ा।
Print Friendly and PDF

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad